100 पूर्व सिविल सेवकों के समूह ने शनिवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम-केयर्स फंड की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए एक खुला पत्र
लिखा। पत्र के जरिए समूह ने कहा कि, यह आवश्यक है कि सार्वजनिक जवाबदेही के मानकों की संभावना और पालन के लिए, गलतियों के संदेह से
बचने के लिए पीएम-केयर्स फंड की प्राप्तियों और व्यय का वित्तीय विवरण उपलब्ध कराया जाए। पत्र में कहा गया है कि, “हम नागरिक सहायता
और आपातकालीन परिस्थिति में राहत, या पीएम केयर्स (कोरोना महामारी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए बनाया गया फंड) को लेकर हो रहीं
चर्चाओं को उत्सुकता के साथ फॉलो कर रहे हैं। जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था और जिस तरीके से इसका प्रबंधन किया जा रहा है, उसने
अनुत्तरित कई सारे सवाल पीछे छोड़ दिए हैं।” पत्र में कहा गया है कि, “यह आवश्यक है कि प्रधान मंत्री के पद और कद को बरकरार रखा जाए,
ताकि प्रधानमंत्री उन सभी व्यवहारों में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकें जिनसे वे जुड़े हैं।” आपको बता दें कि इस पत्र पर पूर्व आईएएस अधिकारियों अनीता अग्निहोत्री, एसपी एम्ब्रोस, शरद बेहार, सज्जाद हसन, हर्ष मंडेर, पी जॉय ओमन, अरुणा रॉय, पूर्व राजनयिक मधु भादुरी, केपी
फेबियन, देब मुखर्जी, सुजाता सिंह और पूर्व आईपीएस अधिकारियों ए. एस. दुलत, पी. जी. जे. नंपूथिरी और जूलियो रिबेरिओ ने भी हस्ताक्षर किए थे।
गौरतलब है कि पिछले साल केंद्र सरकार ने पिछले साल कोरोना महामारी और किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति से प्रभावित लोगों की
आर्थिक मदद करने के उद्देश्य से प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम-केयर्स फंड) का निर्माण किया था। जिसको लेकर मांग उठी थी
कि इस फंड से संबंधित लेनदेन का ब्यौर लोगों की जानकारी के लिए उपलब्ध कराया जाए।