पाकिस्तान की सियासत कभी भी सीधी तरह चली नहीं है. वहां का ईतिहास देखे तो कोईभी प्राईम मिनिस्टर अपना कार्यकाल ठीक से पूरा नहीं कर पाया है। साढे तीन साल पहेले ईमरानखानने पूर्ण बहुमतसे अपनी सरकार बनाई थी। लेकिन सेना के साथ चलते तनाव के बीच अब वह अल्पसंख्यामें आ गये है। उनकी अपनी ही पार्टी के सासंद उनका साथे छोडके चले गये है और सांसदमें उनके खिलाफ अविश्वासका प्रस्ताव रखा गया है। अब तीन एप्रिल को उनके उपर मतदान होना है। उससे पहेले ईमरान खानने जंगी सभा की थी जीनमे उनके लाखो समर्थक उमट पडे थे लेकिन यह बहुमत उनको संसदमें साबित करना है जीनके कारण आगे क्या होगा उसके उपर सबकी नजर टीकी हुई है। पाकिस्तानके नीचले सदनमें बहुमत साबित करने के लिए 172 सदस्य की जरूरत होती है।

ईमरानखानने 179 सदस्य के साथ अपनी सरकार बनायी थी। एमक्युएमके समर्थन से उन्होने सरकार बनायी थी। लेकिन उनकी ही पार्टी के 24 सांसद पहेले ही उनका साथ छोड चूके है। अब एमक्युएमने भी उनके साथ गठबंधन तोड दिया है। उसके लिए उनका जाना तय है।