क्षतिपूर्ति वनीकरण (कैंपा) के तहत वन विभाग ने साल भर करीब 16 करोड़ लीटर बारिश के पानी को बचाने का इंतजाम पिछले तीन सालों में किया है। कैंपा के तहत वन क्षेत्रों में वन विभाग पिछले तीन सालों से चाल खाल से लेकर तालाब खुदवाने सहित अन्य काम कर रहा है।

जंगल में पानी की कमी को दूर करने से लेकर भूजल के स्तर को बढ़ाना और वनों में नमी को बनाए रखने के लिए यह जरूरी भी है। पिछले कुछ सालों की कोशिश के नतीजे अब सामने आ भी रहे हैं। वन विभाग के मुताबिक पिछले तीन सालों में करीब दस करोड़ रुपये खर्च कर 16 करोड़ लीटर पानी बचाने लायक तालाब, गड्ढे आदि 3676 संरचनाओं का विकास वन क्षेत्र में किया गया है। सबसे अधिक काम 2018-19 में हुआ। इस वर्ष 1689 संरचनाओं का निर्माण किया गया। 

नौ इंच बैंटोनाइट का भरान, ज्यादा समय तक जमा रहेगा पानी

शासन ने जल कुंडों को बनाने में भी स्थिति के अनुसार ध्यान रखने को कहा है। वन अधिकारियों के मुताबिक जहां जलकुंडों का उपयोग बारिश के पानी को बचाने के लिए होता है, वहां नौ इंच बैंटोनाइट का उपयोग करने को कहा गया है। अधिक समय तक पानी जमा रहता है तो वन्यजीवों को सूखा काल में राहत मिल जाती है। 

इस बार का लक्ष्य भी किया जा रहा है तय वर्ष 2020-21 के लिए भी वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया है। कैंपा के सीईओ जेएस सुहाग के मुताबिक कोशिश अधिक से अधिक जल कुंडों को बनाने की है। जल कुंड मिट्टी के कटाव को भी कम करते हैं। मिट्टी का कटाव एक बड़ी समस्या है।

जंगलों की नमी बने रहे, इसके लिए कैंपा के तहत कई काम किए जा रहे हैं। पौध रोपण के अलावा जल कुंडों का निर्माण, चैक डैम बनाना आदि को भी वार्षिक योजनाओं में तवज्जो देने को कहा गया है।