पीछले कुच दिनो से पाकिस्तानमें राजकीय गहेमागहेमी बहोत तेज थी। वहां के प्रधानमंत्री ईमरान खान के सामने नेशनल एसेम्बलीमें अविश्वास का प्रस्ताव आया था और 3 तारीख को उनके उपर मतदान होना था। यह मतदानमें ईमरान खान का जाना तय था लेकिन उन्होने जो गुगली मारी है उससे तो एसा लगता है की एक ही बोलमें उनहोने कहीं विकेट झटका दिये है। उन्होने मतदान होने से पहेले ही संसदको भंग कर दिया। वहीं दूसरी तरफ डेप्युटी स्पिकरने अविश्वासका प्रस्ताव खारिज कर दिया। उन्होने 3 महिनेमें पाकिस्तानमे चूनाव करने को कह दिया और तब तक ईमरान खान अंतरिम प्रधानमंत्री बने रहेंगे एसा निर्णय लिया गया हे। हालांकी विपक्ष ईसका विरोध कर रहे है। उन्होने यह मामले को सुप्रीम कोर्टमें ले जाने की भी बात कही है। गैरतलब है की पाकिस्तान की सियासत कभी भी सीधी तरह चली नहीं है।

वहां का ईतिहास देखे तो कोईभी प्राईम मिनिस्टर अपना कार्यकाल ठीक से पूरा नहीं कर पाया है। साढे तीन साल पहेले ईमरानखानने पूर्ण बहुमतसे अपनी सरकार बनाई थी। लेकिन सेना के साथ चलते तनाव के बीच अब वह अल्पसंख्यामें आ गये है। उनकी अपनी ही पार्टी के सासंद उनका साथे छोडके चले गये है और सांसदमें उनके खिलाफ अविश्वासका प्रस्ताव रखा गया है। उससे पहेले ईमरान खानने जंगी सभा की थी जीनमे उनके लाखो समर्थक उमड पडे थे।