गाजीपुर बार्डर पर तूफान से पहले की खामोशी साफ दिखाई दे रही है। इसे चाय के प्याले में अचानक उठा तूफान कहा जा सकता है। गाजीपुर बार्डर पर जहां किसानों की संख्या काफी घटी है, वहीं किसान संगठनों के नेता अपने आंदोलन को बिना किसी नतीजे के खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके सामानांतर दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बार्डर के पास जबरदस्त किलेबंदी की है। वज्रवाहन, पुलिस की तमाम बसें, पुलिस की कई कंपनियां तैनात हैं।
इसके साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और अर्ध सैनिक बलों की कंपनियां भी तैनात कर दी गई हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस भी गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों पर लगातार दबाव बढ़ा रही है। गाजियाबाद में धारा 144 लागू हो चुकी है। पीएसी के जवान भी बार्डर पर पहुंच चुके हैं। कुल मिलाकर सरकार का साफ संकेत है कि अगर किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन स्थल खाली नहीं किया तो पुलिस बल के प्रयोग से उन्हें हटाया जाएगा।
रोकर कहा टिकैत ने- आंदोलन खत्म नहीं होगा, यहीं रहेंगे
टिकैत ने पुलिस अधिकारियों से बातचीत के बाद रोते हुए कहा कि वह यहां से हटने वाले नहीं हैं। वह गोली खाने, लाठी खाने के लिए तैयार हैं, लेकिन वह यहां से हटने वाले नहीं है। निरीह किसानों के साथ वह केंद्र सरकार का यह अन्याय नहीं देख सकते। राकेश टिकैत ने आत्महत्या करने की भी धमकी दे दी है।
हमारा बेटा है जवान, उससे हमारा कोई टकराव नहीं
भाकियू (असली, अराजनैतिक) के नेता चौधरी हरपाल ने कहा कि हम पुलिस के जवानों, सौनिकों की तैनाती से नहीं डरते। हमारा इनसे कोई टकराव नहीं है। जय जवान और जय किसान मिलकर ही देश को बनाते हैं। हरपाल चौधरी का कहना है कि जवान हम किसानों के ही बेटे हैं। हमारी लड़ाई केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन काले कानूनों से है। सभी सरकारें ऐसा ही करती हैं। वह किसानों पर जुल्म ढाने के लिए हमारे सुरक्षा बल में तैनात जवान बेटों को आगे कर देती हैं।