देशकी वरिष्ठ अदालत के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने आज जो टिप्पणी की है वो बेहद चौकाने वाली है। उन्होने देश के पुलिस अफसर और ब्यूरोक्रेट्सके व्यवहार के उपर सख्त टिप्पणी कर उन्हे आपत्तिजनक बताया है। जस्टिस रमना ने कहा कि देश में ब्यूरोक्रेट्स और पुलिस अफसर जिस तरह का बर्ताव कर रहे हैं वह बेहद आपत्तिजनक है। सरकार के साथ मिलकर अवैध तरीके से पैसा कमाने वाले अधिकारीओ को कारावास के अंदर होना चाहिए। दरहसल चीफ जस्टिस ओफ ईन्डिया रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच छत्तीसगढ़ के निलंबित एडीजी गुरजिंदर पाल सिंह द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की ओर से अपने खिलाफ हुई तीन फरियाद जीसमे राजद्रोह, भ्रष्टाचार और जबरन वसूली की धारा है उसके खिलाफ वरिष्ठ अदालत में याचिकाएं दायर की हैं।
उनकी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ओफ ईन्डिया रमनाने कहा की ‘देश में स्थिति दुखद है। पुलिस अधिकारी सत्ताधारी पक्षके साथ रहेती है और जब नई सरकार बनती है तो वो सरकार वही अधिकारीओ के सामने कार्यवाही शुरु कर देती है जीसे रोकने की जरूरत है। ब्युरोक्रेट्स खास कर पुलिस अफसर के व्यवहार परभी उन्होने आपत्ति जतायी है और कहा है की जो पुलिस अफसर सरकार के साथ तालमेल बिठाके अवैध तरीके से पैसा कमाते है उन्हे जेलमें होना चाहीए। ऐसे पुलिस अधिकारी को बक्सा नहीं जा शकता। पुलिस अफसरो के अत्याचार की शिकायत के लिए स्थायी समितियां बननी चाहिए लेकिन इस समय यह नहीं करना चाहतां हु। आईपीएस गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका का फैसला सुरक्षित रखते हुए वरिष्ठ अदालतने छत्तीसगढ हाईकोर्ट को ये सभी याचिका पर 8 हपते के भीतर फैसला लेने को भी कहा है।
आय से अधिक संपत्ति के तीसरे मामले पर बेंच ने कहा कि एडीजी पाल इसके लिए सही कानूनी राह पर जाने के लिए स्वतंत्र हैं, क्योंकि उन्होंने इस मामले को केवल CBI को ट्रांसफर करने और राज्य पुलिस की जांच पर स्टे की मांग की है।